आप सभी को जय गुरुदेव जैसे कि आप जनते है की, परम संत बाबा जय गुरुदेव जी के बचनो को हम अपनी इस पोस्ट में आपके साथ साझा कर रहे है। सभी महापुरुषों का संदेश। छुआछूत पर बाबाजी की नसीहत, बाबा जयगुरुदेव जी ने कहाँ, बाबा जयगुरुदेव जी महाराज संदेश,
बाबा जयगुरुदेव जी ने कहाँ
परम संत बाबा जयगुरुदेव जी ने कहाँ है कि आत्मा कल्याण यदि जीवो का होना चाहिए, तो आप रूह सोल्ड एक ही है, दो नहीं है भाषा अपनी-अपनी है संतों ने आत्मा सुर्त कहाँ है। जब से SURAT परमात्मा से अलग हुई वापस अपने घर अभी तक नहीं लौटी वह यहाँ जड़ माया में फंस कर कर्मों के चक्कर में पड़ गई, वह जन्म ती है मरती है। अपना खोल बदलती रहती है। वह चेतन है 84लाख योनियों में भटक रही है नरक में पिटाई होती है| उसका कोई मददगार नहीं होता है।
जब 84 का चक्कर समाप्त कर पुण्य कर्मो से मनुष्य शरीर में आती है। तो फिर उसे आत्मा फिर उस संसार के मोह माया में पड़ जाती है और आई थी छूटने के लिए पर अज्ञानता से फिर जिधर से आई उधर ही चली जाती है।
रामचरित में गोस्वामी जी महाराज है तुलसीदास जी ने कहा है जोना तरे भवसागर समाज स्पा सुकृति आत्मा गति जाए, धर्म कोई लड़ाई झगड़ा नहीं है मंदिर मस्जिद विवाद नहीं है हत्या क़त्ल गोली बारूद नहीं है चुनावी मुद्दा नहीं है। भाषण का प्रकरण नहीं है धर्म जीवन को नियंत्रण करने की रेखा है। आत्मा को जगाने की एक कड़ी है धर्म धारण किए जाते हैं धर्म लोक परलोक के जोड़ने की एक कड़ी है।
सभी महापुरुषों का जो संदेश
परमारथ की ज़मीन धर्म की न्यू है धर्म तो किसी ना किसी रूप में मानव जन्म के साथ ही शुरू हो जाता है और मृत्यु पर्यंत चलता है सभी महापुरुषों का जो संदेश रहा कि बाबाजी का कहा भी है दृष्टि ज्ञान चक्षु तीसरा नेत्र की चर्चा सभी महापुरुषों ने की है भाषा अपनी-अपनी है बाबा जी ने उसका स्पष्ट प्रचार ही करते हैं।
धर्म के प्रचार में कोई जातीय सीमा नहीं है, समाज सीमा नहीं है, आयु सीमा नहीं है बाबा जी के पास हर वर्ग के लोग हैं और परमार्थ की तरफ़ क़दम बढ़ा रहे हैं। उनकी संख्या करोड़ों में हैं “जाती पाती पूछे नहीं कोई हरि को भजे सो हरि को हुई” बाबाजी बराबर कहते हैं कि साधु जाति की बात उठाएगा तो वह जीवों का कल्याण नहीं कर सकता है।
राजा जाति की बात करेगा तो वह सब राज्य सुरक्षा नहीं दे सकता है इसके साथ ही राज और संघर्ष हो जाएगा। जाति की बात करता है तो सबको रोग निदान नहीं कर सकता है। इसी प्रकार प्रमाणित की खोज जाति देखकर गुरु धारण नहीं करता है। उसे तो सच्चाई मिलनी चाहिए प्रजा राजा के आगे फरियाद करती है। वह कोई जातीय सीमा नहीं होती है रोगी अपने रोग का निदान चाहता है। वह सोचता है कि कोई अच्छा डॉक्टर मिले वह यह नहीं देखता है कि डॉक्टर किस जाति का है समझ होनी चाहिए और बुद्धि में विवेक होना बहुत ज़रूरी है।
छुआछूत पर बाबाजी की नसीहत
छुआछूत पर बाबाजी की नसीहत परम संत बाबा जी गुरु महाराज जी कहते हैं, कि छुआछूत की परंपरा मानव से नहीं बल्कि खराब कर्मों से बचने के लिए बनी है। जातियाँ समाज सब कुछ पहले से बनी हैं इनके कुछ आधार हैं सब के नियम परंपरा रीति रिवाज़ है, सबके सामाजिक परिवारिक बंधन है इसमें बंधी थी मानवता और मानव धर्म की मानव कर्म ही कर्म है।
यही छुआछूत है दूसरा पहलू “जैसे खाए अन्न वैसे हुए मन” जैसे पीये पानी वैसी बोले बानी” इसी आधार पर छुआछूत है। पर इसकी परंपरा बनी हम हमें मिटायेंगे तो देश समाज परिवार सब दुखी हो जाएगा सिद्ध पुरुष संत फ़क़ीर का अपना तरीक़ा होता है। छुआछूत मिटाने का रैदास के चरणों में मीराबाई झुके, कबीर के चरणों में धर्मदास बनिया झुके, एक डाकू बाल्मिक बनकर रामायण का रचयिता बन गया यह कहाँ महापुरुष करते हैं।
अपनी आध्यात्मिक तरीके से और उसे सारी मानवता स्वीकार कर लेती है। यह काम और किसके बस में नहीं है शासन प्रशासन अगर इधर लगेगा तो अराजकता फैल जाएगी। संघर्ष बढ़ जाएगा और अस्थिरता पैदा हो जाएगी।
बाबा जयगुरुदेव जी महाराज संदेश
बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने संदेशों कहा अच्छे विचार आचार विचार होंगे, बुरे का साथ करो बुरा आचरण बनेगा। बुरी आदत बनेगी बीमारियाँ छुआछूत की होती हैं। आचार विचार की रहन-सहन खान-पान की छुआछूत होती है। देखा देखी पाप देखा देखी पुरानी कहावत है यह ठीक है कि अच्छाइयाँ बुराइयों के मिश्रण की है पर बात संतुलन बिगड़ने की है|
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